16वीं सदी की रहस्यवादी कवयित्री और भगवान कृष्ण की भक्त मीराबाई से मिलें, जिनका जीवन और कविता दिव्य प्रेम के चाहने वालों को प्रेरित करती रहती है।

भारत के राजस्थान में एक शाही राजपूत परिवार में जन्मी मीराबाई का जीवन विलासिता और विशेषाधिकार के बीच शुरू हुआ।

अपनी कुलीन पृष्ठभूमि के बावजूद, मीराबाई का दिल भगवान कृष्ण का था। उन्हें छोटी उम्र से ही गहरी आध्यात्मिक बुलाहट महसूस हुई।

मेवाड़ के राजकुमार भोज राज से विवाहित, मीराबाई की कृष्ण के प्रति भक्ति अक्सर उनके सामाजिक कर्तव्यों से टकराती थी, जिससे उनके विवाह और परिवार में संघर्ष होता था।

मीराबाई ने कृष्ण की भक्ति में डूबने के लिए सामाजिक मानदंडों की अवहेलना करते हुए बहादुरी से अपने आध्यात्मिक मार्ग का पालन किया।

राजस्थानी भाषा में रचित मीराबाई के भजन और कविताएँ दुनिया भर के आध्यात्मिक साधकों के बीच गूंजते रहते हैं। वे अपनी भावनात्मक गहराई और गहन आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि के लिए संजोए जाते हैं।

मीराबाई का जीवन और कार्य समय और सांस्कृतिक सीमाओं से परे हैं, अनगिनत लोगों को दिव्य प्रेम और भक्ति की तलाश करने के लिए प्रेरित करते हैं, हमें याद दिलाते हैं कि सच्ची भक्ति की कोई सीमा नहीं होती।