30 अक्टूबर, 1909 को बॉम्बे (अब मुंबई) में जन्मे होमी जहांगीर भाभा एक प्रभावशाली भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानी थे।

भाभा की यात्रा जीवंत शहर बॉम्बे में शुरू हुई, जहाँ उनका जन्म एक प्रमुख पारसी परिवार में हुआ था।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा ने उनकी भविष्य की उपलब्धियों के लिए आधार तैयार किया। उन्होंने विज्ञान के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाया और अंततः कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल की।

1945 में, भाभा ने मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना की। टीआईएफआर तेजी से भौतिकी और अन्य वैज्ञानिक विषयों में अत्याधुनिक अनुसंधान का केंद्र बन गया, जिसने भारतीय विज्ञान के परिदृश्य को आकार दिया।

उन्होंने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की वकालत की और भारत के परमाणु कार्यक्रम की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से 1956 में भारत के पहले परमाणु अनुसंधान रिएक्टर, अप्सरा का निर्माण हुआ।

भाभा के नेतृत्व की परिणति उनके सम्मान में नामित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) की स्थापना में हुई। BARC भारत में परमाणु अनुसंधान और विकास में सबसे आगे बना हुआ है, जो भाभा की स्थायी विरासत का प्रतीक है।

भाभा के योगदान ने उन्हें कई प्रशंसाएं दिलाईं, जिनमें 1954 में प्रतिष्ठित पद्म भूषण भी शामिल है। उनकी विरासत वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को प्रेरित करती है, भारत और उसके बाहर नवाचार और प्रगति को बढ़ावा देती है।

परमाणु भौतिकी में उनके अग्रणी कार्य और शांतिपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है।